baglamukhi shabar mantra - An Overview

अनमिल आखर अरथ न जापू। प्रगट प्रभाउ महेस प्रतापू॥

“ॐ बग्लामुख्ये च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्।”

जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।।

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शमशान भूमि पर दक्षिण दिशा की तरफ़ एक त्रिकोण बना कर त्रिकोण के मध्य में शत्रू का नाम उच्चारण करते हुए लोहे की कील ठोकने पर शत्रू को कष्ट प्राप्त होता है,

Bagalmukhi Mantra assists somebody enhance their abilities and obtain wonderful items of their everyday living. People who chant the Baglamukhi mantra have noticed variances of their life.

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा

Goddess Baglamukhi carries a cudgel in her hands to smash the difficulties faced by her devotees. Here are a few mantras of Baglamukhi with their meanings and the main advantages of chanting them.

oṃ malayācala bagalā bhagavatī mahākrūrī mahākarālī rājamukha bandhanaṃ grāmamukha bandhanaṃ grāmapuruṣa bandhanaṃ kālamukha bandhanaṃ cauramukha bandhanaṃ vyāghramukha bandhanaṃ sarvaduṣṭa graha bandhanaṃ sarvajana bandhanaṃ vaśīkuru huṃ phaṭ svāhā।

इन दो बगला-शाबर मन्त्रों के अतिरिक्त भी एक अन्य शाबर मंत्र गुरु-प्रसाद स्वरूप हमें प्राप्त हुआ था, जिसका उल्लेख मैं यहाँ कर रहा हूं। इस मन्त्र का विधान यह है कि सर्वप्रथम भगवती का baglamukhi shabar mantra पूजन करके इस मन्त्र का दस हजार की संख्या में जप करने हेतु संकल्पित होना चाहिए। तदोपरान्त एक निश्चित अवधि में जप पूर्ण करके एक हजार की संख्या में इसका हवन ‘मालकांगनी’ से करना चाहिए। तदोपरान्त तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तर्पण गुड़ोदक से करें। इस प्रकार इस मन्त्र का अनुष्ठान पूर्ण होता है। फिर नित्य-प्रति एक माला इस मन्त्र की जपते रहना चाहिए। इस मन्त्र का प्रभाव भी अचूक है अतः निश्चित रूप से साधक के प्रत्येक अभीष्ट की पूर्ति होती है। मन्त्र इस प्रकार है

में भी साधना करना चाहती हू। आचार्य जी एक दो वूजुर्ग साधकों से में मिली हूं। उन्होंनों शाबर मत्रं दिये थे परन्तु वह क्या सच में मत्रं है। समझ ही नहीं पाई ओर किताबें बहुत पढ़ी। आप के आर्टिकल आजकल पड़ रही हूं। कोई सरल सा मत्रं बात दीजिए। आपकी बहुत ही कृपा होगी।

ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।

देवी बगलामुखी को सम्मानित करने के लिए पीले फूल सही फूल हैं।

तत्रं साधना गुरू मार्ग दर्शन में ही करें स्वतः गुरू ना बनें अन्यथा भयानक दुष्परिणामों का सामना करना पड़ता ही है।

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